गोरखपुर में योगी, अखिलेश व मायावती तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर है। योगी ने यहां डेरा डाल रखा है और बूथ स्तर तक निगरानी कर रहे हैं। उनकी हिंदू युवा वाहिनी व संघ पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा सक्रिय हंै। उधर, गठबंधन इस छीने हुए गढ़ पर हर हाल में काबिज रहने के लिए संघर्षरत है। ऐसे में क्या होगा? क्या भाजपा अपना गढ़ वापस छीन पाएगी? इन सवालों को खंगालती आशीष त्रिपाठी और अरविंद राय की रिपोर्ट।
'अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं/ यूं ही कभी लब खोले हैं।
पहले फिराक को देखा होता/अब तो बहुत कम बोले हैं।।'
भी फिराक गोरखपुरी ने यह कहा था। लेकिन आज का गोरखपुर मुखर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में कहीं उपचुनाव की हार का पछतावा है, तो कहीं गठबंधन की जीत का हौसला। दोनों पक्षों का उत्साह चरम पर है। इनके बीच जगह बनाने को बेताब कांग्रेस अभी तक मुख्य मुकाबले में नहीं आ सकी है। दशकों की दुश्मनी के बाद सपा-बसपा में मेल की प्रयोगशाला गोरखपुर ही बना था। 2018 के उपचुनाव में सपा-बसपा ने मिल कर प्रवीण निषाद को लड़ाया और 29 साल बाद भगवा ब्रिगेड से उसका गढ़ छीन लिया। यह अलग बात है कि प्रवीण के गलेे में अब भगवा दुपट्टा है। वह पाला बदल कर पड़ोस की संतकबीर नगर सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उपचुनाव में सफल प्रयोग से मजबूत हुआ गठबंधन आम चुनाव में भाजपा को पूरे प्रदेश में कड़ी चुनौती दे रहा है।
सूबा बाजार में भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं के सम्मेलन का मंच। मुख्यमंत्री योगी मंच पर हैं। राम मिलन जी आगे आइए। ए रावण... बैठ जाओ। दिनेश तुम्हारे बूथ की बैठकें हो गईं या नहीं... किसी मुख्यमंत्री को तो अपने चुनाव में भी ऐसी कवायद नहीं करनी पड़ती। लेकिन यह योगी का स्टाइल है, साथ ही मजबूरी भी है। उपचुनाव में भाजपा की हार उनके लिए बड़ा झटका थी। गोरखपुर में भाजपा से कोई भी चुनाव लड़े, इसे योगी की हार-जीत के रूप में ही देखा जाता है। इस बार वह रविकिशन को चुनाव लड़वा रहे हैं। रविकिशन खुद कह रहे हैं, 'मैं तो बाबा की खड़ाऊं लेकर चुनाव लड़ रहा हूं।' उपचुनाव में प्रत्याशी रहे उपेंद्र शुक्ल अब भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। रविकिशन की ज्यादातर सभाओं में उपेंद्र्र उनके साथ दिखते हैं।
मुकाबला कड़ा है। गठबंधन में सपा के कोटे में गई गोरखपुर सीट पर रामभुआल निषाद प्रत्याशी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री और दो बार विधायक रहे हैं। पिछड़ों के बीच मजबूत पकड़ वाले नेता रामभुआल भाजपा को कांटे की टक्कर दे रहे हैं। गठबंधन के मूल वोटरों का हौसला भी उपचुनाव के परिणाम से बढ़ा-चढ़ा है। भाजपा मोदी के नाम, योगी के काम और गोरखपुर की दो साल में हुई तरक्की की बुनियाद पर चुनाव लड़ रही है। जबकि गठबंधन ने जातिगत समीकरणों का मजबूत ताना-बाना बनाया है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो. अजय शुक्ल कहते हैं, 'गठबंधन निषाद, यादव, दलित और मुसलमान वोटों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने के नाम पर मजबूत है। लेकिन राजनीति में कई बार अंकगणित काम नहीं करता।' वह मानते हैं कि योगी-मोदी के नाम पर जातियों की जकड़ टूटती है। यह कितना टूटेगी, इसी पर गोरखपुर का नतीजा निर्भर करेगा। गोरखपुर की तरक्की को पैमाना बनाएं, तो पिछले दो साल में हालात बिल्कुल बदल गए हैं। एम्स, खाद कारखाना और चीनी मिलों से बेरोजगारों, बीमारों, किसानों, आम शहरियों सभी को बड़ा लाभ मिला है। पूर्व मेयर और कांग्रेस नेता पवन बथवाल कहते हैं, 'यह बिना मुद्दे का चुनाव है। कटुता बढ़ाने वाले बयान हर तरफ से उछल रहे हैं। लोगों की कांग्रेस से उम्मीदें हैं।'
विधायकों का भी इम्तिहान : गोरखपुर में भले ही योगी का रसूख दांव पर हो, अग्निपरीक्षा विधायकों की है। इस लोकसभा सीट के सभी पांचों विधानसभा क्षेत्रों पर भाजपा काबिज है। योगी ने इस बार सभी विधायकों को कहा है कि वे अपने चुनाव में जितने वोट पाए थे, उससे ज्यादा वोट रविकिशन को दिलवाएं। दरअसल उपचुनाव में हार की एक वजह यह भी थी कि गोरखपुर शहर व कैंपियरगंज विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी को उतने वोट भी नहीं मिले, जितने विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को मिले थे।
प्रत्याशी का पता नहीं, पर जीतेंगे मोदी : ग्रामीण इलाके का मोतीराम अड्डा बाजार। चौराहे पर फलों का ठेला लगाने वाले 18 वर्षीय कृष्णा पहली बार वोटर बने हैं। यहां कौन जीत रहा है, इस सवाल पर उन्होंने बेलौस जवाब दिया, 'मोदी जीतेंगे। उन्होंने टॉयलेट और घर बनवाए हैं। हालांकि कृष्णा को यह नहीं पता कि गोरखपुर में कौन-कौन प्रत्याशी हैं। हालांकि रामसूरत कालेज के छात्र राजकुमार विनोद और अभिनव ने कहा, 'मोदी को साइकिल वाला टक्कर दे रहा है।' इनसे अलग कुसुम्ही के दिनेश ने कहा, 'मोदी ही जीतेंगे।' लेकिन संवरू ने गठबंधन को मजबूत बताया।
कैम्पियरगंज, जसवल, पिपराइच, भिटनी, सहजनवां आदि जगहों पर भी लोगों की राय बंटी हुई नजर आई। हालांकि भाजपा को आगे बताने वाले ज्यादातर लोगों ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दिया। जबकि गठबंधन समर्थकों ने कहा कि भाजपा मोदी के नाम पर वोट मांग रही है जबकि गठबंधन को अपने काम की बदौलत वोट मिलेगा।